Why UK economy shrinking?

Potential reasons for an economic contraction in the UK could include:

  1. Global Economic Conditions: Economic downturns in major trading partners or a global recession can negatively impact the UK economy. Reduced demand for exports can lead to a decline in economic activity.
  2. Domestic Demand Issues: Factors such as high levels of household debt, low consumer confidence, or changes in government policy affecting spending can lead to decreased domestic demand for goods and services.
  3. Political and Policy Uncertainty: Uncertainty related to political events, such as elections or significant policy changes, can impact business and consumer confidence, leading to reduced investment and spending.
  4. Supply Chain Disruptions: Events like the COVID-19 pandemic, natural disasters, or geopolitical tensions can disrupt global and domestic supply chains, affecting production and economic growth.
  5. Financial Market Volatility: Instability in financial markets, including stock market crashes or banking crises, can have a cascading effect on the broader economy.
  6. Currency Fluctuations: Sudden and significant changes in the value of the national currency can impact trade and foreign investment, affecting the overall economic health.
  7. Inflation and Interest Rates: High inflation or interest rates can lead to reduced consumer spending and investment, putting a strain on economic growth.
  8. Structural Issues: Long-term structural issues, such as an aging population, inadequate infrastructure, or labor market challenges, can hinder economic growth.

 

who is the founder of Japan Industrial Partners?

Japan Industrial Partners (JIP) doesn’t have a single founder in the traditional sense. It was established in 2002 as a joint venture between three entities:

  • Mizuho Securities: One of the largest financial services groups in Japan, Mizuho Securities provided financial backing and expertise to JIP.
  • NTT Data Corp: A leading IT services company in Japan, NTT Data contributed its knowledge and experience in managing complex business operations to JIP.
  • Bain & Co Japan: A renowned global consulting firm, Bain & Co offered its strategic guidance and restructuring expertise to JIP.

While these three entities played crucial roles in JIP’s formation, individual founders aren’t typically associated with joint ventures. However, several key figures have been instrumental in JIP’s success:

  • Hidemi Moue: Currently the Chairman and CEO of JIP, Moue joined the firm in 2002 and has been a driving force behind its growth and investment strategies. He previously held leadership positions at Mizuho Securities and brings extensive experience in corporate restructuring and private equity.

  • Shuji Ito: A former partner at Bain & Co and co-founder of JIP, Ito played a significant role in shaping the firm’s initial strategy and investment approach. He left JIP in 2010 to pursue other ventures.

It’s important to remember that JIP’s success stems from the combined efforts and expertise of its founding partners and key individuals like Moue and Ito. While it may not have a single founder in the traditional sense, the collaborative spirit and diverse skillsets of its founding entities have been instrumental in JIP’s journey as a leading private equity firm in Japan.

तोशिबा कंपनी टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्टेड क्यों हुई?

तोशिबा कंपनी टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्टेड होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • कंपनी की अस्थिर वित्तीय स्थिति: तोशिबा कंपनी पिछले कई वर्षों से अस्थिर वित्तीय स्थिति से जूझ रही थी। कंपनी को लगातार घाटे हो रहे थे और कंपनी की कर्ज में लगातार वृद्धि हो रही थी। 2023 में, कंपनी ने बताया कि उसके पास 2.4 ट्रिलियन येन (लगभग 19.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का कर्ज है।
  • कंपनी के अनुपालन उल्लंघन: तोशिबा कंपनी पर कई अनुपालन उल्लंघनों का आरोप लगा था। इनमें से सबसे प्रमुख आरोप था कि कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में हेराफेरी की थी। 2022 में, कंपनी ने इस आरोप को स्वीकार किया और कहा कि उसने अपने वित्तीय विवरणों में 1.3 ट्रिलियन येन (लगभग 11.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की हेराफेरी की थी।
  • कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट: तोशिबा कंपनी अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट का सामना कर रही थी। कंपनी को कई क्षेत्रों में नए प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही थी। इनमें से सबसे प्रमुख क्षेत्र था इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र। इस क्षेत्र में, तोशिबा कंपनी को सैमसंग, एप्पल और हुआवेई जैसे नए प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही थी।

इन सभी कारणों से, तोशिबा कंपनी को शेयर बाजार से हटाने का निर्णय लिया गया। 2023 में, तोशिबा कंपनी ने एक निजी इक्विटी फर्म से 2.2 ट्रिलियन येन (लगभग 18.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का कर्ज लिया। इस कर्ज का उपयोग कंपनी ने अपने कर्ज को कम करने और अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए किया।

टोशिबा कंपनी की डीलिस्टिंग एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह दिखाता है कि एक बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनी भी वित्तीय समस्याओं का सामना कर सकती है। यह भी दिखाता है कि अनुपालन उल्लंघन एक कंपनी की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

यहां इन कारणों का विस्तार से वर्णन किया गया है:

अस्थिर वित्तीय स्थिति

तोशिबा कंपनी को लगातार घाटे हो रहे थे। 2022 में, कंपनी को 692 बिलियन येन (लगभग 5.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का घाटा हुआ था। कंपनी की कर्ज में भी लगातार वृद्धि हो रही थी। 2023 में, कंपनी के पास 2.4 ट्रिलियन येन (लगभग 19.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का कर्ज था। इस कर्ज को चुकाने के लिए, कंपनी को अपनी संपत्तियों को बेचने या नए कर्ज लेने की आवश्यकता थी।

अनुपालन उल्लंघन

तोशिबा कंपनी पर कई अनुपालन उल्लंघनों का आरोप लगा था। इनमें से सबसे प्रमुख आरोप था कि कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में हेराफेरी की थी। 2022 में, कंपनी ने इस आरोप को स्वीकार किया और कहा कि उसने अपने वित्तीय विवरणों में 1.3 ट्रिलियन येन (लगभग 11.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की हेराफेरी की थी। इस हेराफेरी का उद्देश्य कंपनी की वित्तीय स्थिति को बेहतर दिखाना था।

प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट

तोशिबा कंपनी अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट का सामना कर रही थी। कंपनी को कई क्षेत्रों में नए प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही थी। इनमें से सबसे प्रमुख क्षेत्र था इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र। इस क्षेत्र में, तोशिबा कंपनी को सैमसंग, एप्पल और हुआवेई जैसे नए प्रतिस्पर्धियों से चुनौती मिल रही थी। इन प्रतिस्पर्धियों के पास तोशिबा कंपनी की तुलना में अधिक उन्नत तकनीक और मजबूत वित्तीय स्थिति थी।

इन सभी कारणों से, तोशिबा कंपनी को शेयर बाजार से हटाने का निर्णय लिया गया।

TOSHIBA: तोशिबा ने जापानी कंसोर्टियम से $15 बिलियन का बायआउट प्रस्ताव स्वीकार किया

टोक्यो – तोशिबा के बोर्ड ने गुरुवार को जापान इंडस्ट्रियल पार्टनर्स (जेआईपी) के नेतृत्व में 2 ट्रिलियन येन (15.3 बिलियन डॉलर) की खरीद के पक्ष में मतदान किया, जिससे बोली सफल होने पर संकटग्रस्त औद्योगिक समूह निजी होने की राह पर चल पड़ा।

4,620 येन प्रति शेयर की निविदा पेशकश को सफल होने के लिए निवेशकों को कम से कम दो-तिहाई बकाया शेयरों की निविदा की आवश्यकता होती है। जापानी ब्लू चिप को बाद में टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से हटा दिया जाएगा।

यह निर्णय तोशिबा के बदलाव के प्रयासों में एक मील का पत्थर है, जो अप्रैल 2021 में निजी इक्विटी फर्म सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स से पहली बार बायआउट ऑफर मिलने के बाद से उतार-चढ़ाव से गुजरा है।

उम्मीद यह है कि एकल मालिक होने से ऐसी कंपनी में निर्णय लेने में सुधार होगा जहां व्यवसाय रणनीति अब सक्रिय निवेशकों द्वारा प्रभावित होती है।

कंपनी ने कहा कि बाहरी निदेशकों से बनी एक विशेष समिति द्वारा चर्चा के बाद, 12-सदस्यीय बोर्ड ने जेआईपी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और निष्कर्ष निकाला कि यह प्रस्ताव तोशिबा के कॉर्पोरेट मूल्य को बढ़ाएगा।

निक्केई ने पहले बताया था कि तोशिबा का बोर्ड इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के लिए तैयार है।

कंसोर्टियम अब अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी सहित देशों में अविश्वास और अन्य नियामक समीक्षाओं के साथ आगे बढ़ेगा। निविदा प्रस्ताव जुलाई के अंत में शुरू होने की उम्मीद है।

ऑफर मूल्य गुरुवार के बंद शेयर मूल्य 4,213 येन से 10% अधिक है। प्रीमियम 3,000 येन की कम रेंज की तुलना में बड़ा है जहां सीवीसी ऑफर सामने आने से पहले स्टॉक कारोबार कर रहा था।

जेआईपी निवेश कोष के अलावा, 17 जापानी कंपनियां – जिनमें वित्तीय सेवा समूह ओरिक्स, चिपमेकर रोहम और चुबू इलेक्ट्रिक पावर शामिल हैं – और विदेशी निवेशकों के साथ छह घरेलू वित्तीय संस्थान, अधिग्रहण के लिए स्थापित की जाने वाली इकाई में हिस्सेदारी रखेंगे। यह फंडिंग के अन्य रूपों जैसे पसंदीदा शेयर और ऋण के शीर्ष पर है।

पिछले अप्रैल में, तोशिबा ने पुनर्गठन प्रस्तावों का आग्रह करना शुरू किया। जेआईपी, जिसने तरजीही बातचीत के अधिकार प्राप्त किए, ने नवंबर में एक अधिग्रहण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। वित्तीय संस्थानों से ऋण प्रतिबद्धताएं प्राप्त करने के बाद, इसने फरवरी में एक अंतिम प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

सीवीसी की पिछली अधिग्रहण बोली पर बातचीत टूट गई. नवंबर 2021 में, तोशिबा ने अपना मूल्य बढ़ाने के उपाय के रूप में पूरे समूह को तीन कंपनियों में विभाजित करने की योजना की घोषणा की।

फरवरी 2022 में, उस योजना को दोतरफा विभाजन के लिए संशोधित किया गया था जिसे एक महीने बाद असाधारण शेयरधारकों की बैठक में रखा गया था। लेकिन अधिकांश शेयरधारकों ने इस योजना को अस्वीकार कर दिया। फिर निजी होना पुनर्गठन का मुख्य विकल्प बन गया।

2015 में, तोशिबा वित्तीय संकट में पड़ गई जब लेखांकन संबंधी अनियमितताएं सामने आईं और इसकी अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र सहायक कंपनी को भारी नुकसान हुआ। कंपनी ने लगातार दो वर्षों तक नकारात्मक निवल मूल्य से बचने के लिए 2017 में लगभग 600 बिलियन येन की नई पूंजी जुटाई, जिससे इसे डीलिस्टिंग का खतरा हो सकता था।

उस धन उगाही के परिणामस्वरूप कई सक्रिय निवेशक तोशिबा के शेयरधारक बन गए।

Toshiba: End of an Era as Company Delisted After 74 Years

In a significant turn of events, Toshiba Corporation, a stalwart in the Japanese technology and electronics industry, has been delisted from the Tokyo Stock Exchange after a remarkable 74-year run. The delisting marks the end of an era for the company that has been a global player in various sectors, ranging from semiconductors to nuclear energy. This article explores the factors leading to Toshiba’s delisting, its historical significance, and the potential implications for the future.

A Brief History of Toshiba:

Toshiba Corporation was founded in 1939 and officially became Toshiba Corporation in 1978. Over its 74-year history on the stock exchange, Toshiba established itself as a technological powerhouse with a diverse range of products and services. The company’s innovations spanned consumer electronics, semiconductor manufacturing, medical equipment, and nuclear power.

Toshiba’s Rise and Challenges:

Toshiba enjoyed decades of success, becoming a symbol of Japan’s technological prowess. However, the company faced a series of setbacks in recent years, including a major accounting scandal in 2015 that revealed a systematic inflation of profits over several years. This scandal resulted in hefty fines, executive resignations, and a tarnished reputation.

The Challenges in the Nuclear Power Sector:

Toshiba’s troubles were exacerbated by challenges in its nuclear power division. The company faced massive losses related to the acquisition of Westinghouse Electric, a move aimed at expanding its footprint in the nuclear power industry. Delays, cost overruns, and a decline in global demand for nuclear energy led to significant financial strain.

Financial Woes and Delisting:

Toshiba’s financial difficulties prompted the Tokyo Stock Exchange to place the company on its watchlist, a move that ultimately culminated in the decision to delist Toshiba. The delisting reflects the severity of the company’s financial troubles and raises questions about its ability to recover and regain investor confidence.

Implications for Toshiba and the Industry:

The delisting of Toshiba has far-reaching implications for the Japanese corporate landscape and the global technology sector. It signifies the end of an era for a company that once stood at the forefront of innovation. The void left by Toshiba’s absence will undoubtedly impact various industries, as the company played a crucial role in the development and production of key technologies.

Additionally, the delisting may prompt other companies to reevaluate their business strategies, governance structures, and risk management practices. It serves as a stark reminder of the importance of transparency, accountability, and adaptability in the rapidly evolving global business environment.

Conclusion:

Toshiba’s delisting after 74 years on the Tokyo Stock Exchange marks a significant chapter in the history of the company and the broader technology industry. The challenges faced by Toshiba, including financial woes and the fallout from the accounting scandal, serve as cautionary tales for other corporations. As the business landscape continues to evolve, the legacy of Toshiba will be remembered not only for its technological contributions but also as a cautionary tale of the perils of corporate mismanagement.